बुधवार, 25 नवंबर 2015

कविता

कहाँ से निकलती है कविता
जितने गहरे से निकलती है कविता
उतने ही गहरे पैठ जाती है कविता
दिल की गहराइयों को छू लेती है कविता
मन की ऊंचाइयों को पा लेती है कविता
शायद अतीत की यादों से निकलती है कविता
या मन के किसी कोने में छुपी टीस से उपजती है कविता
या विषाद , दुःख - दर्द से द्रवित होकर बहती है कविता
यह जो मन में छिपा बैठा है अहंकार
उससे भी दर्पित हुई है कविता
नित नई नई खोजों , कुछ पाने के उछाह में उमंगित हुई है कविता
उछाह , हर्ष , उमंग , टीस , वेदना , ईर्ष्या , द्वेष
सभी में छिपी है कविता
शायद जीवन का रस है कविता
हाँ,  जीवन का रस है कविता ।

राम नाम

राम नाम कहते रहो ,
जब लगि घट में प्राण ।
कबहुँ तो दीन दयाल के ,
भनक पड़ेगी कान ।।

शनिवार, 7 नवंबर 2015

यह रास्ता

दिल के पार
प्यार की छांव तले
एक खिड़की
हजार दरवाजे ।

दुनिया के गांव में
मोहब्बतों की खेती

जीवन की अर्जी लगाता
आवारा बंजारा जीवन

यह रास्ता कहीं जाता है ???