सिलसिला
चाहत का
यूँ ही
चिराग
इश्क का
यूँ ही
सपनों में
बस तू ही
यूँ ही
दिल में
बसता
बस तू ही
यूँ ही
ओ ; मेरे !!!!
गुरुवार, 31 मार्च 2016
ओ ; मेरे !!!
मंगलवार, 22 मार्च 2016
कल्पना मनोरमा
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--------------एक गीतिका ---------------
मित्रों ! होलिका उत्सव की बधाई !!!!
महका मन मन कचनार सखी
पसरी बन-बन गुलनार सखी ॥
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कुलों में कलरव बतरस सी
छलका मधुरिम सा प्यार सखी ॥
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रसिया मन बसिया खेल रहो
चनियां रंगती ब्रजनार सखी ॥
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यमुना जल लेके परात खड़ी
कृष्णा जायें वलिहार सखी ॥
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झरता सौरभ उर खोल-खोल
वन लहकी जाय बहार सखी ॥
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उर लाय लईं सुषमा श्यामा
बरसी है रंगन फुहार सखी ॥
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कल्पना मनोरमा
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