रविवार, 3 अप्रैल 2016

लोक गीत

हृदय से फूटा
कंठ से निकला
अधरों पर छलकता
आदिम राग ।

संभावना

संभावना है
अभी भी संभावना है
अपने भविष्य पर
मुस्कुराता
वर्तमान है ।

सफर में कांटे
अनगिन
जरा संभाल
यह समय
खण्डित ।

काफी नहीं
अपनी गाथा
उसकी भी
सुन ।

पसरा पतझड़
मध्य
वसंत ।

संभावना है ।।