बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

सपने

#हाँ_मै_सपने_देखता_हूँ....

वो जनवरी 2003 की एक सर्द शाम थी...एक किशोर वय बालक अपने पिता के साथ बैठा अलाव ताप रहा था....उत्तर भारत की ठण्ड में अगर आग का सहारा मिल जाय जो ऐसा प्रतीत होता है... कि जैसे भूखे को भोजन और प्यासे को पानी मिल गया हो....!

बातों के दरमियां जब पिता ने पूछा की बोर्ड एग्जाम की तैयारी कैसी चल रही है तब लड़के ने जबाब में कहा ठीक ही है... अभी काफी कुछ रिवाइज करना बाकि है पर फिर भी ये यकीन है कि तैयारी सही चल रही है...!

अच्छी बात है बेटा....खूब मन लगा के तैयारी करो...तुम्हे फेल नही होना है कभी भी....मेरे नाम पर कभी धब्बा न लगने देना....!

यह वह दौर था जब बोर्ड एग्जाम्स में सेल्फ सेंटर का चलन नही था और गांव देहात में बोर्ड एग्जाम पास करने वाले लड़को को काबिल समझा जाता था...!

अरे नही पापा आप टेंशन न लीजिये...मै कभी भी आपको लज्जित नही होने दूंगा....आप तो मेरे लिये दुनिया के सबसे अच्छे पापा है न....लड़के की आवाज में बहुत सारी ख़ुशी झलक रही थी...!

और तुम मेरे लिये दुनिया के सबसे अच्छे बेटे हो....यह कहकर पिता ने पुत्र को गले से लगा लिया...!

यार मै सोच रहा हूँ... की आपकी माँ और आपके लिये यानि हम सबके लिये एक नया घर बनवाया जाय... ताकि जब तुम्हारी शादी हो तो नई बहू को कोई दिक्कत न हो....!

पापा आप भी न अभी मेरी उम्र ही कितनी है...अभी तो मुझे खूब पढ़ना है आगे बढ़ना है और आपका नाम रोशन करना है.... !

फिर भी बेटा मेरा यह सपना है की तुम्हें एक नया घर बना के दूँ.... जहाँ हम सब मिलजुल कर एक साथ राजी ख़ुशी से रह सकें.... वक्त को किसने देखा है.... कौन जाने कब क्या हो जाये....?

उस लड़के के पिता जी ने सच कहा था...वक्त को किसने देखा है.... 30 मई 2003 की उस दुःख भरी सुबह में उस लड़के के पिता जी एक आकस्मिक दुर्घटना का शिकार होकर चल बसें..... लड़के के ऊपर इस घटना का बड़ा भयानक असर पड़ा.... अंदर ही अंदर वह टूट सा गया..बोर्ड एग्जाम भी उसने पास कर लिया था पर उसके पिता जी उसके साथ नही थे....किसी दार्शनिक ने कभी कहा था की इंसान मर जाया करते है पर सपनें कभी नही मरा करते.....यह बात उस किशोर वय लड़के को पता थी.....उसने उसी समय एक निर्णय ले लिया था की आज नही तो कल...इस साल नही तो 5 साल 10 साल बाद जब वह सक्षम हो जायेगा तो अपने पिता के सपनें को जरूर पूरा करेगा....किसी भी हालत में किसी भी सूरत में उसे उन मुरझा चुके सपनों को हकीकत के पानी से सींच कर जिन्दा रखना होगा....!

कई साल बीत गए...कई पतझड़ आये कई बसन्त चले गए....पर वह सपना उस लड़के के मन में हमेशा पलता रहा......और एक दिन उसने सच में उस सपनें को पा लिया.... उन सपनों को हकीकत का अमली जामा पहना कर अपने पिता के अधूरे सपनों को आखिर कार पूरा ही कर दिया.....!

आप जानना चाहोगे वो लड़का कौन है..... रुकिये जरा पोस्ट पढ़ते रहिये....जल्द ही उस लड़के से आपको मिलवाता हूँ....!

पिछले दिनों जब मै फेसबुक से तनिक समय के लिये दूर चला गया था तो मेरे तमाम सुधी मित्रों और चाहने वालों में एक परेशानी सी दौड़ गयी....अरे क्या हुआ हीरा ठाकुर किधर निकल लिये....कुछ ने मेरी वाल पर आकर पूछा कुछ ने इनबॉक्स किया कुछ एक ने तो कॉल भी किया.....मै शुक्रगुजार हूँ उन सभी लोगों का जिन्हें मेरी इतनी फ़िक्र है.... यकीन मानिये मुझे इस बात से बेहद ख़ुशी है की दुनियां में न जाने कितने लोगों के लिये मै एक आम सा भारतीय नागरिक कितना खास हूँ.... यह आप सबका प्यार है जो मजबूती से खड़ा रहने देता है वरना जालिम वक्त की हवाओं ने तो मुझे कब का उड़ा दिया होता....!

हाँ तो मेरे गायब रहने की वजह यही थी कि मै उस किशोर वय लड़के के सपनों को सजा रहा था....उसकी छोटी छोटी आँखों ने कभी जो सपनें देखे थे उनमे हकीकत की खुसबू मिला रहा था....जी रहा था एक एक लम्हे को जिनके लिये उसने बरसों इंतजार किया....और अंतत उसे हासिल कर ही लिया...!

दोस्तों वह लड़का मै ही हूँ.... जिसने अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का एक छोटा सा प्रयास किया है..... पुश्तैनी जायदाद और मकान से इतर खुद के बलबूते पर पिता के ख्बाव को सजाने वाला बेटा मै ही हूँ..... शुरू में तीन बेडरूम हाल किचन की प्लानिंग के साथ शुरू किया गया घर बढ़ते बढ़ते 5 छोटे बड़े कमरे हाल किचन और घर के आगे लान तक आकर रुका....!

लान सहित करीब 2000 इस्क्यार फीट में फैले मेरे मकान यानि मेरे पापा के मकान की जब 4 दिन पहले छत पड़ी तो पल भर के लिये मुझे ऐसा लगा की मैने दुनियां जहाँ की हर ख़ुशी पा ली....मुझे वो सब कुछ मिल गया जो मै नही मेरे पिता जी चाहते थे....जिस दिन छत पड़ी उसके अगले दिन सुबह उसी छत पर नम आँखो के साथ खड़े होकर सुदूर आकाश में सिर्फ एक बार अपने पिता की छवि को देखने की कोशिस कर रहा था....और साथ ही साथ परम् पिता परमेश्वर से यह शिकायत भी कर रहा था की आखिर उन्होंने मेरी ख़ुशी मेरे पापा को मुझसे क्यों छीन लिया...!

आज अगर पापा मेरे साथ होते तो उन्हें मेरे इस काम से कितनी ख़ुशी मिली होती....और उन्हें अपने इस नालायक और शैतान बेटे से शायद कोई भी शिकायत न होती.....पर होनी को कौन टाल सकता है... ईश्वर की मर्जी के सामने किसका जोर चला है...!

सपनों को पूरा करती हुई यह कहानी जितनी अच्छी है उससे कही अधिक प्रयास  अपने पिता के सपनें को पूरा करने के लिये मैने किया है.... एक एक पाई जोड़ के अपने ख़र्चों को बेहद कम करके मैने यह हासिल किया हैं.... मेरे दोस्त जब वीक इंड पर पार्टी के लिये मूवी के लिये जाते थे तब मै कोई न कोई बहाना बना के उन्हें टाल देता था....घर पर ही कोई न कोई मूवी देख लेता था या फिर आप सबके लिये पोस्ट लिख देता था....हर 6 महीने पर जब दोस्त फोन बदल देते थे तो मै अपने दो साल से अधिक पुराने फोन को देख के खुद को समझा लिया करता था....कोई दोस्त जब नई स्पोर्ट बाइक लेकर आता था तो मै अपनी 5 साल पुरानी बाइक को देख असहज हो जाता था पर फिर भी उसे धो पोछ के चमकाने की कोशिश कर लिया करता था...दोस्त जब हॉलीडेज पर हिल स्टेशन जाने का प्लान करते तो मै कोई न कोई आफिस की मजबूरी बता के टाल जाया करता था.....हमेशा स्लीपर क्लास से ही सफर किया....कभी ब्रांडेड कपड़े नही पहने....3 से 5 किलोमीटर पैदल चल जाया करता था....बाइक को महीनों खड़ी करके सिटी बस से सफर किया करता था....जॉब पर भी हरदम कूल रहकर बॉस की झिड़कियां सुनी ताकि आय का एक नियमित स्त्रोत बना रहे....हर वो काम खुसी से किया पूरी लगन से किया जो मेरे पापा के सपनों को पूरा करने में मेरी मदद कर सकें...!

मेरी यह पोस्ट लिखने का मकसद सिर्फ यही है की आज का युवा जो तनिक सी दिक्कत आने पर परेशान हो जाता है...हिम्मत हारने लग जाता है उसे अपने आस पास नजर उठा के देखना चाहिये.....न जाने कितने लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिये जी जान से लगे हुए है.... मै भी उनमे से एक हूँ... कई बार थक जाता हूँ.... निराश भी होने लगता हूँ पर हिम्मत कभी भी नही हारता हूँ.... क्योंकि मै सपनें देखता हूँ मन ही मन  उन्हें पूरा होते हुए देखता हूँ और एक दिन वो हकीकत बन कर आ ही जाते है....!

एक मकान को मकान ईट सीमेंट बना देते है पर उसे घर बनाने में किसी का प्यार भी बहुत जरूरी होता है... मै एहसानमन्द हूँ अपने उस खास दोस्त का जिसनें मुझे हरदम सपोर्ट किया....हरदम मेरा ख्याल रखा और हरदम मेरी फ़िक्र की....पब्लिक में कभी कहा नही पर आज सबके सामने कहता हूँ.... आई लव यु माय डियर फ्रेंड....तुम मेरे लिये बेहद खास हो और हरदम रहोगी...!

कल मित्र सत्या कर्ण ने एक बड़ी बढ़िया बात कही की मै सपनें देखता हूँ...उन्ही में जीता हू. यह्ह्ह् मह्ह्ह् ब्रो मै सपनें देखता हूँ और उन्हें पूरा करने की कूवत भी रखता हूँ..!

हाँ मै सपनें देखता हूँ....!

विशाल सिंह   सूर्यवंशम       की फेसबुक वाल से  साभार

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1005692659491937&id=100001536381918

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